सब मेरे दोस्त ही क्यों बनना चाहते हैं?

तुम बहुत अच्छे हो
बस तुम ही मुझे समझते हो 
तू अब तक कहाँ था, मुझे पहले क्यों नहीं मिला था?
आप सबसे अलग हो…

यह सब बहुत बार सुना था मैंने
बहोतों नें हस्ते हुए तो कंधे पर हाथ रक्खा था
पर किसी नें प्यार से बालों को नहीं सहलाया था
आँखों में देखते हैं, पर पलक झपका जाते हैं
सब मेरे दोस्त ही क्यों बनना चाहते हैं?

छोड़ दे, time waste मत कर 
भाई, सब सच सच नहीं बताना होता है 
Good Boy बनकर कुछ हो नहीं सकता है 
अबे! इनका तो काम ही हमें घुमाना होता है 

यह सब समझाते थे कईं लोग मूझे
Cute कहके गाल तो  बहोतों नें मेरे भी खीचे थे
प्यार से गले किसी ने नहीं लगाया था
दिल की बातें तो मुझसे कर जाते हैं बेधड़क, दिल किसी और से ही लगा जाते हैं
सब मेरे दोस्त ही क्यों बनना चाहते हैं?

लो, आज इंकार करता हूँ मैं
तुम्हे जिंदगी से अपनी आज़ाद करता हूँ मैं
आज से मेरी चाहत तुम्हारी दोस्ती की बेगारी नहीं करेगी
मेरे दिल के मकान के किरायेदार थे तुम
पिछला किराया तुम्हारा अभी भी बकाया है, मुझे वसूलना अब याद आया है
समझौता करता आया हूँ अबतक, तुम्हे और पनाह नहीं देने का इरादा है

कितनी रातें तुम्हारे आंसुओं को सुखाने में बिता दी मैंने
तुम्हारे इश्क के चर्चे हजारों चुप चाप सुने
जब मैंने अपने प्यार का इज़हार किया तो परायी आँखों से तुमने बहिष्कार किया
मेरे कंधे पर सर रख रो सकती हो तुम
मैंने प्यार से छूना चाहा तो तुमने “नीच” करार दिया
इरादा साफ दिल से था, मैंने तुम्हें बता दिया
तुमने तो इसपर दाघ मुझे दिखा दिया
औरों के फरेब मेहेंगे में खरीदे होंगे तुमने
मेरी खुली किताब free sample समझकर क्यों ठुकरा दिया?

कोशिश करूँगा मैं भी अब, काले दिल से सफ़ेद झूठ बोलने की
रखूँगा दोस्ती की अपने शर्तें, फायेदे, जैसे बाकी सब किया करते हैं
फिर तुम समझोगी शायद
सब मेरे दोस्त ही क्यों बनना चाहते हैं?

क्या में सिर्फ़ तेरा दोस्त रह सकता हूँ ?

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तुझे चुपके से देख देख, सामने आँखें मोड़ सकता हूँ
तेरा ज़िक्र महफ़िल में जरूर करता हूँ, तेरी किदमत डायरी में अपनी बस कर सकता हूँ
तेरी दोस्त से मिलता हूँ, तुझे दूर से सलाम किया करता हूँ
तुझे हसा पाऊँ, खुशनसीबी अपनी समझता हूँ
क्या में तेरा दोस्त भी रह सकता हूँ ?

तेरे साथ सैर करता हूँ, तेरे साथ चल नहीं सकता हूँ
तुझसे रात भर बातें करता हूँ, तू किसी और से कुछ कहदे तो जलता हूँ
तू मेरे कपड़े चुन लेती है, में तेरे काजल की तारीफ करता हूँ
में सामने तेरे चैन से रोया करता हूँ
क्या में सिर्फ़ तेरा दोस्त ही रह सकता हूँ ?

ले अब इज़हार मैंने किया है, सब हिरासत में तेरी छोड़ दिया है
तू चुप हो गई है, मेरे पास कहने को और कुछ नहीं बचा है
तू मेरी दोस्ती के झूठ से निराश है, में अपने इश्क की सच्चाई में गिरफ्तार हूँ
प्यार तो जिस्मों का है, दोस्ती तो जान की होती है
जिस्म ही न रहे, तो क्या में जान तुझे दे सकता हूँ ?
क्या में सिर्फ़ तेरा दोस्त रह सकता हूँ ?

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मैंने देखा है!

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मैंने देखा है!
रात में सुनसान गलियारों को
वो राजसी स्मारक, अंधेरे पड़े किनारों को
वो अंग्रेजी architecture पर पान के पड़े फुवारों को
मैंने देखा है
संसद भवन के रात के नज़रों को

मैंने देखा है!
रात में नेहरू यहाँ दिखते हैं
किसी गंभीर चिंतन में सैर किया करते हैं
अपने सफ़ेद लिबास में अब पिशाच से लगते हैं
लाल नहीं, अब काले गुलाब से सजते हैं
मैंने देखा है
खली कुर्सियों को देखकर निराश हुआ करते हैं

मैंने देखा है!
बाबा साहिब के भूत को भी
वो हाथ में एक मोटी सी किताब लिए चलते हैं
खोल के उसको अक्सर पढ़ा करते हैं
बहुत बोझ है इसका, फिर भी संभाला करते हैं
मैंने देखा है
यह नेहरू से बात तो करते हैं, पर गले नहीं लगते हैं

मैंने देखा है!
बापु को speaker की कुर्सी पर बैठे हुए
मौन की ताकत नहीं, सन्नाटे के ध्वंस में दिखाई पड़ते हैं
सादगी के लिबास में नहीं, नंगेपन की लाज बचाए लगते हैं
आर्थिक प्रगति का प्रतीक नहीं, पूंजीवाद की काली सूरत से दिखाई पड़ते हैं
मैंने देखा है
शिकार किए हुए जानवर की नुमाईश में लगायी खोपरी सा यह मुस्कुराया करते हैं

मैंने देखा है!
संसद भवन का यह मंज़र ज़माने से
बदलते देश, बदली हुई राजनीती के हवाले से
में कौन हूँ?
में हूँ संसद भवन का चौकीदार
मैंने देखा है
पर आँख से अँधा हूँ में कई सालों से

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याद रहेगा अब 15 अगस्त हमेशा

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कुछ लोग तिरंगा पट्टा पहने आए
मुझे घर से ले गए
भरपेट खाना खिलाया
मुफ्त का पऊआ भी पिलाया
तिरंगे वाली t-shirt पहनाई गई
भीड़  जुटाई गई

“भारत माता की जय” – नारा लगाना था मुझे
भीड़ में सबसे आगे चिल्लाना था मुझे
में खूब चिल्लाया
कोई सुन तो नहीं रहा था – पर मेरे साथ सब चिल्लाए
शोरे बहुत था
इसे जोश समझकर मंच वाले भी मुस्कुराए
मेरा गला जब बैठ गया
मुझे अलग निकाल दिया गया
500 का नोट देकर चलता किया गया
आवाज़ की कीमत तब मुझे समझ में आई थी

आज बहुत दिन के बाद
जेब भरी थी, पेट खली नहीं था
देश का पता नहीं, आज खुदपर बहुत फक्र था
घर जाकर उस दिन तान कर मैं सोया था
शाम को पड़ोस वाली लड़की को picture दिखाने भी ले गया था

याद रहेगा अब 15 अगस्त हमेशा
क्योंकि उसने हसकर happy independence day बोल दिया था

Image credit: images.financialexpress.com/2015/08/indian-tricolour-l-express-.jpg

क्या मैंने तुम्हे यह महसूस करवाया था ?

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वो मुझे यहाँ ले आई थी

में बैठी चुप-चाप थी
दबी सी हसी भी आई थी
वो अपने दोस्त के साथ थी
में अकेली आई थी

रात बहुत हो चली थी
में कुछ नशे में भी थी
अब में घर की ओर चलने लगी थी
सडकें गीली थीं , एक street light टिमटिमाती दिखी थी
दूर, किसी के हसने की आवाज़ आई थी

फिर, मेरा phone बज उठा
मुझे लगा silent पर था, पर वो उत्सुक था
थोडा बजने दिया, देर से उठाया था
उठाते ही मैनें फरमाया था…
“तुम मेरे लायक नहीं”

– क्या मैंने तुम्हे यह महसूस करवाया था ?

Picture credit: http://weheartit.com/entry/36431643

उस दिन और आज

Rain
उसको पहली बार देखा था जब,
नजरें नहीं मिलायीं थीं
उस दिन काला चश्मा मेरी आंखों पर था,
आज वोह हिजाब में ई थी

उस दिन गर्मी बहुत थी, हवा में बहुत नमी थी
में पसीने में तर था, वो पानी की बोतल लिए आई थी
आज बहार बरसात थी
में जूतों से पानी सुखा रहा था, वोह गीले बाल खोलकर आई थी

उस दिन वो हल्का मुस्कुरा रही थी, में अदब से फरमा था
वोह देख रही थी, में उसमें खोने से घबरा रहा था
आज वो बोले जा रही थी, में चुपचाप सर हिला रहा था
वो नजरें मिला रही थी, में उसकी आँखों में डूबा जा रहा था

उस दिन मेरे सामने बैठी थी वोह सिमटी सी
में मर्दामी में कंधे फैला रहा था
आज वो मेरे साथ ही बैठी थी मोंनस
में खयालों  में बच्चा होता जा रहा था

आगे बढ़ते रहने के लिए

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उससे कुछ छुपा नहीं है
उसको सब पहले ही पता होता था
में लड़ता बहुत था उससे अक्सर
नहीं मानता था उसका कहना
संघर्ष से की थी मैंने दोस्ती
वक्त मेरा खाविंद  था
पर उसकी गोद का सुकून जो था
वैसा दुनिया में कुछ भी नहीं था

वो कौन थी ?
वो मेरी माँ थी, वो मेरी किस्मत थी

एक और था जो मेरे साथ था
मिलता जब था, तमाचा जैसे पड़ता था
में उससे बचता था – डरता था
बिना उसके आगे बढ़ता था
भूलने की उसको कोशिश करता था
मेरी राह में वोह अक्सर खड़ा हुआ करता था
वो मेरा मक़ाम था, उस्ताद था
महरूम  भी था, वाही  भी था

वो कौन था ?
वो मेरा पिता था, वो मेरी नाकामी था

माँ-बाप अक्सर लड़ा करते थे
अलग अलग नज़रिया रखा करते थे
फिर मैंने माँ को चुन लिया, बाप को सुने बगैर
किस्मत को चुन लिया, नाकामी के बगैर
किस्मत के आँचल में छुपना सीख लिया था मैंने
नाकामी से नफरत करने अब लगा था

अब समझ आता है
अधूरा जब खुदको पाता हूँ
मेहनत से दौड़ता हूँ, कहीं पहुँच नहीं पता हूँ
क्यों माँ-बाप दोनों हैं ज़रूरी जीने के लिए
किस्मत – नाकामी दोनों ही चाहिए आगे बढ़ते रहने के लिए

खाविंद  = master  महरूम  = disappointed  वाही  = inspiration

एक बार की बात है…

एक बार की बात है…
एक छोटा बच्चा था
सब सुनता था, सब सीखता था
जो देखता था, वो कहता था
डरता नहीं था, सब करता था
कुछ भी वोह कर सकता था
आह ! क्या चैन की नींद सोया करता था
सपनों को सच्चा समझता था

फिर एक बार की बात है…
कुछ तो हुआ जो गलत हुआ
नादान वो था, नासमझ हुआ
सच्चाई का नया एक रंग चढ़ा
अपनी कहानी में वो अब रहता था
कहानी को सच समझता था
सपनों को नींद समझता था
और नींद में रहने से डरता था

फिर एक बार की बात है…
अब वो समझदार आदमी था
बहुत कहता था, कुछ सुनता था
बहुत डरता था, कम करता था
बड़े तालाब में तैरता था, बढ़प्पन की लहरों से डरता था
कहानियां तो अभी भी सुनता था
पर अपनी कहानी में खुद ठीक रहता था
सच बोलता था, झूठ जीता था

अब उसका एक बच्चा था
जो उसके जैसे दिखता था, फिर भी सच्चा लगता था
वो सोता था, यह जगता था
ये देखकर उसको सोचा करता था

सपने देखना कैसा हुआ करता था ?

क्यों छुपाना पड़ता है ?

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कल्पना की चादर में
चुप रहने की साजिश में
नज़र के धोखों में
क्यों मर जाना पड़ता है ?
सोचते हैं, कह नहीं पते
क्यों छुपाना पड़ता है ?

कैसे हो ?
क्या हाल है ?
और बताओ ?
जैसे बहरे सवाल हैं
जवाब तय हैं
रस्मे निभाना पड़ता है
सोचते कुछ हो, कहते कुछ और
क्यों छुपाना पड़ता है ?

छुपाना अगर जुर्म हो जाए
झूठ बोलने की सजा हो जाए
कुछ न कहना – जुर्माना हो
“सब ठीक है” – बस एक अफसाना हो
बोलो, तब क्या कहोगे मुझसे ?

मेरा दिल हसास है, अक्सर रोना पड़ता है
मेरी हसी बेअदब है, धीरे से हसना पड़ता है
आंखें जो कहा करती थीं अब तक, जुबां से कह जाना
हर बात पर यकीन कर लेना, शक भूल जाना
हर शक्सियत पर फैसला न सुनाना
यह कितना हसीन एहसास है
फिर बताओ, क्यों छुपाना पड़ता है ?

लब

13

मुझसे बात न कर
छोड़ जा मेरे खयालों की सल्तनत
पर अपने लबों से नाइंसाफी तो मत कर
मुझे इनसे जुदा तो मत कर

तेरी बातों से ज्यादा तेरे लब याद आते हैं
तू जो नहीं कहती, मुझे एहसास करा जाते हैं
देख मेरे लब फ़टने अब लगे हैं, छिल गए हैं कटने लगे हैं
तू जो नहीं है
मुस्कुराकर यह खुदखुशी करने चले हैं

रिश्ता अजीब है दिलों-लबान का
इश्क़ दिल करता है, इज़हार लब करते हैं
खफा दिल होता है, जुदा लब होते हैं
दिल तो बाघी था ही फितरती
अब लब भी मेरी कहाँ सुनते हैं
न जाने कितनी बगावतें हम खुदसे किया करते हैं

क्या तेरे लब भी याद मुझे किया करते हैं ?